मिलेट की खेती करें how to do millet  farming on Barren land.?

मिलेट की खेती करें how to do millet farming on Barren land.?

बंजर भूमि पर अब होगी मोटे अनाज की खेती ,

बंजर जमीन में उगता है, बाजरे की ये किस्म है , आओ मिलेट की खेती करें : मिलेट की खेती में बुवाई , सूखाग्रस्त इलाकों के लिए वरदान है

 कंगनी की खेती , बंजर भूमि में खेती कैसे करें?

मिलेट्स की खेती कैसे करें?

मिलेट्स की खेती के लिए क्या आवश्यक है?

मिलेट मिशन योजना क्या है? 

 मिलेट्स में क्या क्या आते हैं?

 मिलेट कितने प्रकार के होते हैं? 

 मिलेट कौन सी फसल है? , 2023 बाजरा का वर्ष क्यों है? , मिलेट्स के क्या फायदे हैं? , जानें बाजरा की खेती का समय, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार

  • जानें बंजर भूमि पर मोटे अनाज की खेती का समय, बुवाई, सिंचाई, देखभाल और पैदावार
  • भारत में लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर है। इस भूमि का उपयोग कृषि के लिए नहीं किया जा रहा है। इस भूमि पर मोटे अनाज की खेती करके इसे उपजाऊ बनाया जा सकता है।
  • मोटे अनाज, जैसे कि ज्वार, बाजरा, रागी, मडुआ, आदि, कम पानी में भी उग सकते हैं। ये अनाज पौष्टिक भी होते हैं। इनमें प्रोटीन, फाइबर, और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।
  • सूखाग्रस्त इलाकों के लिए वरदान है मिलेट की खेती
  • सूखाग्रस्त इलाकों में पानी की कमी के कारण खेती करना मुश्किल होता है। ऐसे इलाकों में गेहूं और चावल जैसी फसलों को उगाना लगभग असंभव होता है। लेकिन मिलेट की खेती ऐसे इलाकों के लिए वरदान है।
  • मिलेट एक प्रकार का अनाज है जो कम पानी में भी अच्छी तरह से उग सकता है। यह अन्य अनाज की तुलना में अधिक पौष्टिक भी होता है। मिलेट में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
  • मिलेट की खेती करने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है। यह कम लागत में उगाया जा सकता है। मिलेट की फसल जल्दी पक जाती है, जिससे किसानों को जल्दी पैसा मिल जाता है।
  • भारत में मिलेट की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में की जाती है। इन राज्यों में सूखाग्रस्त इलाकों में मिलेट की खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है।
  • मिलेट की खेती का बढ़ावा देने से सूखाग्रस्त इलाकों में लोगों की आजीविका में सुधार हो सकता है। यह जल संरक्षण में भी मदद कर सकता है।#

मोटे अनाज (मिलेट) की खेती के फायदे

  • कम पानी व कम लागत में उगाई जा सकती है। 
  • अन्य अनाज की तुलना में अधिक पौष्टिक होती है।
  • इससे खेत में नाइट्रोजन फिक्सेशन (Nitrogen Fixation ) होती है अगली पैदावार के लिए
  • इससे साल में तीन फसले निकली जा सकती है।
  • 45-80 दिन के अंदर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकेगा।
  • खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा।
  • किसानों की आय में वृद्धि होगी।
  • पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकेगा।
  • मिलेट्स एक पौष्टिक अनाज है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
  • मिलेट्स सूखा-सहिष्णु होता है, जिससे इसे कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है।
  • मिलेट की खेती सूखाग्रस्त इलाकों के लिए एक वरदान है। यह किसानों की आय बढ़ाने और जल संरक्षण में मदद कर सकता है।
मिलेट्स की खेती कैसे करें?
मिलेट्स एक प्रकार के मोटे अनाज हैं जो भारत में लंबे समय से उगाए जाते हैं। ये अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और सूखा-सहिष्णु होते हैं, जिससे वे कई प्रकार की जलवायु में उगाए जा सकते हैं।
मिलेट्स की खेती के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
  1. भूमि की तैयारी: मिलेट्स की खेती के लिए मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करना आवश्यक है। मिट्टी को समतल और भुरभुरी बनाना चाहिए। इसके लिए खेत की दो-तीन बार जुताई करें और फिर पाटा लगाएं।
  2. बीज बुवाई: मिलेट्स के बीजों को 3-4 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं। बुवाई का समय फसल के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर, मिलेट्स की बुवाई जून-जुलाई के महीने में की जाती है।
  3. सिंचाई: मिलेट्स की फसल को अच्छी सिंचाई की आवश्यकता होती है। बुवाई के बाद पहली सिंचाई तुरंत करें। इसके बाद, आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
  4. खरपतवार नियंत्रण: मिलेट्स की फसल में खरपतवार की समस्या हो सकती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशक का प्रयोग करें या हाथ से खरपतवार निकालें।
  5. फसल सुरक्षा: मिलेट्स की फसल को कीटों और रोगों का भी खतरा होता है। कीटों और रोगों से बचाव के लिए उचित समय पर कीटनाशक और रोगनाशक का प्रयोग करें।
  6. फसल कटाई: मिलेट्स की फसल 80-90 दिनों में पक जाती है। फसल पकने के बाद, इसे कटाई के लिए तैयार करें। कटाई के बाद, फसल को सुखाकर भंडारित करें।
मिलेट कौन सी फसल है?
मिलेट एक प्रकार की अनाज वाली फसल है जो आमतौर पर सूखे क्षेत्रों में उगाई जाती है। मिलेट के कई प्रकार होते हैं, जिनमें बाजरा, रागी, ज्वार, कोदो, कुटकी, सांवा और कंगनी शामिल हैं।
मिलेट की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए यह सूखे क्षेत्रों के लिए एक उपयुक्त फसल है। मिलेट की फसल जल्दी पक जाती है, इसलिए यह किसानों के लिए एक लाभदायक फसल है।
मिलेट कितने प्रकार के होते हैं?
मिलेट को उनके आकार, रंग और स्वाद के आधार पर कई प्रकारों में बांटा जा सकता है। कुछ सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:
मोटे मिलेट: इनमें बाजरा, ज्वार, सांवा, कंगनी और चेना शामिल हैं। ये मिलेट्स आमतौर पर बड़े आकार के होते हैं और इनका रंग हल्का भूरा या पीला होता है।
सूक्ष्म मिलेट: इनमें रागी, कोदो और कुटकी शामिल हैं। ये मिलेट्स आमतौर पर छोटे आकार के होते हैं और इनका रंग गहरा भूरा या काला होता है।
मिलेट में क्या क्या आते हैं?
मिलेट एक प्रकार का अनाज है जो आमतौर पर सूखे क्षेत्रों में उगाया जाता है। मिलेट में कई प्रकार के अनाज आते हैं, जिनमें शामिल हैं:
बाजरा :- बाजरा एक ऐसी फसल है जो कम पानी और कम उर्वरक में भी अच्छी पैदावार देती है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बंजर जमीन में भी उग सकती है। ऐसे में, बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बाजरे की खेती को बढ़ावा देना एक बेहतरीन विकल्प है।
रागी :- रागी एक उच्च प्रोटीन वाला अनाज है जो कैल्शियम और फाइबर का भी अच्छा स्रोत है। यह हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है।
ज्वार :- ज्वार एक कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला अनाज है जो कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है। यह टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
कोदो :- कोदो एक अनाज है जो ग्लूटेन मुक्त है। यह आयरन, फाइबर और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत है। यह कब्ज, एनीमिया और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
कुटकी :- कुटकी एक अनाज है जो प्रोटीन, फाइबर और मैग्नीशियम का अच्छा स्रोत है। यह हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और मधुमेह के नियंत्रण में मदद कर सकता है।
सांवा :- सांवा एक प्रकार का छोटा अनाज है जो मुख्य रूप से भारत में उगाया जाता है। इसका उपयोग रोटी, खिचड़ी, बिरयानी और अन्य व्यंजनों में किया जाता है। सांवा में प्रोटीन, आयरन और फाइबर की अच्छी मात्रा होती है।
कंगनी :- कंगनी एक प्रकार का छोटा अनाज है जो भारत के दक्षिणी भागों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। कंगनी आयरन, कैल्शियम और फाइबर का अच्छा स्रोत है।
चेना :- चेना एक प्रकार का छोटा अनाज है जो भारत के पश्चिमी भागों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। चेना आयरन, कैल्शियम और फाइबर का अच्छा स्रोत है।
इन अनाजों में फाइबर, प्रोटीन, आयरन और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।
मिलेट के फायदे और स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?
फाइबर: मिलेट फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। फाइबर पाचन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रोटीन: मिलेट प्रोटीन का भी एक अच्छा स्रोत है। प्रोटीन शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व है।
आयरन: मिलेट आयरन का भी एक अच्छा स्रोत है। आयरन रक्त में ऑक्सीजन के परिवहन के लिए आवश्यक है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
कैंसर के जोखिम को कम करता है।
मिलेट एक स्वस्थ और पौष्टिक अनाज है जो विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मिलेट मिशन योजना क्या है?
मिलेट मिशन योजना एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य देश में मिलेट की खेती को बढ़ावा देना है। यह योजना वर्ष 2023 में शुरू की गई थी और इसका मुख्य लक्ष्य वर्ष 2025 तक मिलेट के उत्पादन में 25% की वृद्धि करना है।
मिलेट मिशन योजना के तहत किसानों को मिलेट की खेती के लिए अनुदान, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, मिलेट के प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय 2023 बाजरा का वर्ष क्यों है?
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को "अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष" घोषित किया है। इस वर्ष को मनाने के लिए, भारत सरकार ने 2023 को "बाजरा का वर्ष" घोषित किया है।
बाजरा एक महत्वपूर्ण मिलेट है जिसका भारत में लंबे समय से उत्पादन किया जा रहा है। बाजरा एक पौष्टिक अनाज है जो आयरन, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है।
मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए अनुदान, बीज, और अन्य सहायता प्रदान की जाती है।
हाल ही में, कृषि मंत्रालय ने एक कार्यशाला आयोजित की थी, जिसमें बंजर भूमि पर मोटे अनाज की खेती के बारे में चर्चा की गई थी। इस कार्यशाला में यह निर्णय लिया गया कि देशभर में बंजर भूमि पर मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
इस निर्णय से देश की खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी। साथ ही, पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा।









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